गुरु हरकिशन का जन्म १६५६ ई० में हुआ। गुरु-गद्दी पर पदासीन होने के समय उनकी आयु मात्र पाँच वर्ष थी । १६६१ ई. में उन्होंने गुरु का पदभार ग्रहण किया था। वह गुरु हर राय के द्वितीय पुत्र थे और उनकी माता का नाम किशन कौर था। राम राय की एक भूल के कारण ही उसके पिता ने उसके अनुज हरकिशन को अपना उत्तराधिकारी बनाया था; किन्तु राम राय ने स्वयं को ही गुरु घोषित कर दिया। उसके शिष्यों ने चारों ओर घूम-घूम कर प्रचुर मात्रा में धन एकत्र करने के प्रयत्न किये । किन्तु उनके इन शिष्यों ने प्राप्त धन-राशि का अधिकांश स्वयं रख कर राम राय को अल्पांश ही दिया।
गुरु हरकिशन की बुद्धि कुशाग्र थी और उन्हें उच्चतर सिद्धियाँ भी प्राप्त थीं। वह सिक्खों को समुचित शिक्षण दे कर उनकी शंकाओं का समाधान किया करते थे।
राम राय ने अपना पक्ष औरङ्गजेब के सम्मुख प्रस्तुत किया। औरङ्गजेब को उत्तराधिकार के लिए हुए भाइयों के इस पारस्परिक संघर्ष के कुशलतापूर्वक उपयोग में सिक्ख-शक्ति के विनाश के माध्यम दृष्टिगत हुए। उसने गुरु को दिल्ली बुलाया । हरकिशन ने दिल्ली जा कर अपनी बुद्धि तथा अपने ज्ञान से औरङ्गजेब तथा उसके परामर्शदाता अम्बर के राजा राम सिंह को पूर्णतः सन्तुष्ट कर दिया। औरङ्गजेब ने ससम्मान उनका स्वागत-सत्कार किया और उनके प्रति अपना आदर व्यक्त करने के लिए अपने पुत्र मुअज्जम को उनके पास भेज दिया।
औरङ्गजेब ने बालक गुरु की आध्यात्मिक शक्ति का परीक्षण करना चाहा। उसने उन्हें रानियों के अन्तःपुर में भेज दिया जहाँ उसकी पटरानी नौकरानी का मलिन वस्त्र पहने पीछे बैठी थी; किन्तु अन्य रानियाँ तथा शाही महल की महिलाएँ राजसी वस्त्राभूषण धारण किये हुए आगे विराजमान थीं। बालक गुरु ने अपनी तीक्ष्ण दृष्टि से पटरानी को शीघ्र ही पहचान लिया।
गुरु हरकिशन पर पहले ज्वर का प्रकोप हुआ और इसके पश्चात् उसके शरीर पर चेचक के दाने निकल आये। अपना अन्त निकट जान कर उन्होंने गुरु हरगोविन्द के पुत्र तथा अपने महान् चाचा तेगबहादुर (बाबा बकला) को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया। उन दिनों तेगबहादुर व्यास नदी के तट पर बकला गाँव में एकान्तवास कर रहे थे ।
१६६४ ई. में गुरु हरकिशन का देहान्त हो गया। वह गुरु-गद्दी पर तीन वर्ष तक ही पदासीन रहे ।
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FAQ
प्रश्न: गुरु हरकिशन का जन्म कब हुआ था?
उत्तर: गुरु हरकिशन का जन्म 1656 ई० में हुआ था।
प्रश्न: गुरु हरकिशन की आयु कितनी थी जब उन्होंने गुरु-गद्दी पर पदासीन होने का पदभार ग्रहण किया?
उत्तर: गुरु हरकिशन की आयु मात्र पाँच वर्ष थी जब उन्होंने 1661 ई. में गुरु-गद्दी पर पदासीन होने का पदभार ग्रहण किया।
प्रश्न: गुरु हरकिशन के माता-पिता का क्या नाम था?
उत्तर: गुरु हरकिशन के पिता का नाम गुरु हर राय था और माता का नाम किशन कौर था।
प्रश्न: गुरु हरकिशन के शिष्यों ने कैसे प्रयास किए थे धन एकत्र करने के लिए?
उत्तर: गुरु हरकिशन के शिष्यों ने धन एकत्र करने के लिए चारों ओर घूम-घूम कर प्रयत्न किया, लेकिन उनके इन शिष्यों ने अधिकांश धन स्वयं रख कर गुरु हर राय को अल्पांश ही दिया।
प्रश्न: गुरु हरकिशन की बुद्धि कैसी थी और उन्होंने किस प्रकार के कार्य किए?
उत्तर: गुरु हरकिशन की बुद्धि कुशाग्र थी और उन्होंने सिखों को समुचित शिक्षण देकर उनकी शंकाओं का समाधान किया। वे उच्चतर सिद्धियाँ प्राप्त कर चुके थे।