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श्री शिव रुद्राष्टकम् हिंदी अर्थ सहित || नमामि शमीशान निर्वाण रूपं अर्थ सहित

'वेदः शिवः शिवो वेदः' वेद शिव हैं और शिव वेद हैं अर्थात् शिव वेदस्वरूप हैं। यह भी कहा है कि वेद नारायणका साक्षात् स्वरूप है- 'वेदो नारायणः साक्षात् स्वयम्भूरिति शुश्रुम'। इसके साथ ही वेदको परमात्मप्रभुका निःश्वास कहा गया है। इसीलिये भारतीय संस्कृतिमें वेदकी अनुपम महिमा है। जैसे ईश्वर अनादि-अपौरुषेय हैं, उसी प्रकार वेद भी सनातन जगत्में अनादि-अपौरुषेय माने जाते हैं। इसीलिये वेद-मन्त्रोंके द्वारा शिवजीका पूजन, अभिषेक, यज्ञ और जप आदि किया जाता है। नमामीशमीशान निर्वाणरूपम्।विभुम् व्यापकम् ब्रह्मवेदस्वरूपम्। निजम् निर्गुणम् निर्विकल्पम् निरीहम्।चिदाकाशमाकाशवासम् भजेऽहम् ॥१॥ मोक्षस्वरूप, विभु, व्यापक, ब्रह्म और वेदस्वरूप, ईशान दिशा के ईश्वर और सभी के स्वामी शिवजी, मैं आपको बार-बार प्रणाम करता हूँ। स्वयं के स्वरूप में स्थित (मायारहित), गुणरहित, भेदरहित, इच्छारहित, चेतन आकाशरूप और आकाश को ही वस्त्र रूप में धारण करने वाले दिगम्बर, मैं आपकी भक्ति करता हूँ। निराकारमोंकारमूलम् तुरीयम्।गिराज्ञानगोतीतमीशम् गिरीशम्। करालम् महाकालकालम् कृपालम्।गुणागारसंसारपारम् नतोऽहम् ॥२॥ निराकार, ओंका

गोत्र कितने होते हैं: जानिए कितने प्रकार के गोत्र होते हैं और उनके नाम

गोत्र कितने होते हैं: पूरी जानकारी गोत्र का अर्थ और महत्व गोत्र एक ऐसी परंपरा है जो हिंदू धर्म में प्रचलित है। गोत्र एक परिवार को और उसके सदस्यों को भी एक जीवंत संबंध देता है। गोत्र का अर्थ होता है 'गौतम ऋषि की संतान' या 'गौतम ऋषि के वंशज'। गोत्र के माध्यम से, एक परिवार अपने वंशजों के साथ एकता का आभास करता है और उनके बीच सम्बंध को बनाए रखता है। गोत्र कितने प्रकार के होते हैं हिंदू धर्म में कई प्रकार के गोत्र होते हैं। यहां हम आपको कुछ प्रमुख गोत्रों के नाम बता रहे हैं: भारद्वाज वशिष्ठ कश्यप अग्निवंशी गौतम भृगु कौशिक पुलस्त्य आत्रेय अंगिरस जमदग्नि विश्वामित्र गोत्रों के महत्वपूर्ण नाम यहां हम आपको कुछ महत्वपूर्ण गोत्रों के नाम बता रहे हैं: भारद्वाज गोत्र वशिष्ठ गोत्र कश्यप गोत्र अग्निवंशी गोत्र गौतम गोत्र भृगु गोत्र कौशिक गोत्र पुलस्त्य गोत्र आत्रेय गोत्र अंगिरस गोत्र जमदग्नि गोत्र विश्वामित्र गोत्र ब्राह्मण गोत्र लिस्ट यहां हम आपको कुछ ब्राह्मण गोत्रों के नाम बता रहे हैं: भारद्वाज गोत्र वशिष्ठ गोत्र कश्यप गोत्र भृगु गोत्र आत्रेय गोत्र अंगिरस गोत्र कश्यप गोत्र की कुलदेवी

ब्राह्मण धरोहर | ज्ञान, परंपरा, और समृद्धि की यात्रा

    आपकी पहचान, आपका गर्व है। और ब्राह्मण समुदाय के व्यक्तियों के लिए, इस पहचान को संजीवनी देना और आगे बढ़ाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस ब्लॉग में हम ब्राह्मण वंश की धरोहर की महत्वपूर्णता और ज्ञान के मौल्यों पर ध्यान केंद्रित करेंगे। ब्राह्मण धरोहर: ज्ञान का विरासत आपकी पहचान, आपका गौरव है। और ब्राह्मण जाति के लोगों के लिए, इस पहचान को सजीव रखना और आगे बढ़ाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। ब्राह्मणों को अपने धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को जानना, समझना, और आगे बढ़ाना उनके लिए एक गर्वशील कर्तव्य है। ज्ञान का साक्षरता ब्राह्मण वंश के लोगों को अपने गौत्र, प्रवर, और वेदशास्त्र के बारे में जानकर रहना चाहिए। यह न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन को मजबूत बनाए रखेगा, बल्कि उन्हें उनके समाज में सहायक बनाए रखने में भी मदद करेगा। पीढ़ी को जानकारी देना ब्राह्मण परंपरा को आगे बढ़ाते समय, अपनी पीढ़ियों को इस धरोहर की महत्वपूर्णता का संबोधन करना चाहिए। उन्हें अपने गोत्र, प्रवर, और वेदशास्त्र के बारे में बताकर उनकी आत्मा को संजीवनी देना होगा। समृद्धि का आधार ब्राह्मणों का ज्ञान और सांस्कृतिक समृद्धि में एक महत्वपूर्ण