सूर्य नमस्कार: 12 आसन, मंत्र, और योग इमेज के साथ पूर्ण गाइड - एक योग यात्रा
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जून 19, 2023
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सूर्य की पूजा एवं वन्दना भी नित्यकर्म में आती है। शास्त्र में इसका बहुत महत्त्व बतलाया गया है। दूध देनेवाली एक लाख गायों के दानका जो फल होता है, उससे भी बढ़कर फल एक दिनकी सूर्यपूजा से होता है। पूजा की तरह सूर्यके नमस्कारों का भी महत्त्व है। सूर्यके बारह नामों के द्वारा होने वाले बारह नमस्कारों की विधि यहाँ दी जाती है।
प्रणामोंमें साष्टाङ्ग प्रणामका अधिक महत्त्व माना गया है। यह अधिक उपयोगी है।
इससे शारीरिक व्यायाम भी हो जाता है। भगवान् सूर्यके एक नामका उच्चारण कर दण्डवत् करे। फिर उठकर दूसरा नाम बोलकर दूसरा दण्डवत् करे। इस तरह बारह साष्टाङ्ग प्रणाम हो जाते हैं। शीघ्रता न करे, भक्ति भावसे करे।
एतदर्थं प्रथम सूर्यमण्डलमें सौन्दर्यराशि भगवान् नारायणका ध्यान करना चाहिये। भावनासे दोनों हाथ भगवान्के सुकोमल चरणोंका स्पर्श करते हों, ललाट भी उसी सुखस्पर्शमें केन्द्रित हो और आँखें उनके सौन्दर्य- पानमें मत्त हों।
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः ।🙏
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