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सूर्य नमस्कार: 12 आसन, मंत्र, और योग इमेज के साथ पूर्ण गाइड - एक योग यात्रा

योग, जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण और प्राचीन योगिक प्रथा है जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को संतुलित और मजबूत बनाने के लिए जानी जाती है। सूर्य नमस्कार एक प्रसिद्ध योगासन सरणी है जो सूर्य देव को समर्पित है और जिसे सूर्य की प्राचीन धार्मिकता में उनके शक्तिशाली प्रभावों को स्वीकार करने के लिए पूजा का रूप माना जाता है।


सूर्य नमस्कार क्या है?

सूर्य नमस्कार एक सिरीज ऑफ़ योगासन है जो अपने शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को संतुलित करने में मदद करता है। यह विभिन्न आसनों का संयोजन है जो शरीर की प्रत्येक हिस्से को संचालित करते हैं।


सूर्य नमस्कार के लाभ:

शारीरिक लाभ:

 सूर्य नमस्कार शारीरिक लाभ प्रदान करता है जैसे कि मांसपेशियों की मजबूती, कसरत की लचीलापन, और शारीरिक लचीलापन को बढ़ाना।


मानसिक लाभ:

 इसका नियमित अभ्यास मानसिक शांति और स्थिरता लाता है, तनाव को कम करता है, और मानसिक दृढ़ता और संवेदनशीलता को बढ़ाता है।


आध्यात्मिक लाभ:

 सूर्य नमस्कार का अभ्यास आत्मा के साथ संयोग स्थापित करता है और आध्यात्मिक विकास में मदद करता है।


सूर्यके बारह नमस्कार

              सूर्य की पूजा एवं वन्दना भी नित्यकर्म में आती है। शास्त्र में इसका बहुत महत्त्व बतलाया गया है। दूध देनेवाली एक लाख गायों के दानका जो फल होता है, उससे भी बढ़कर फल एक दिनकी सूर्यपूजा से होता है। पूजा की तरह सूर्यके नमस्कारों का भी महत्त्व है। सूर्यके बारह नामों के द्वारा होने वाले बारह नमस्कारों की विधि यहाँ दी जाती है।

प्रणामोंमें साष्टाङ्ग प्रणामका अधिक महत्त्व माना गया है। यह अधिक उपयोगी है।

                           इससे शारीरिक व्यायाम भी हो जाता है। भगवान् सूर्यके एक नामका उच्चारण कर दण्डवत् करे। फिर उठकर दूसरा नाम बोलकर दूसरा दण्डवत् करे। इस तरह बारह साष्टाङ्ग प्रणाम हो जाते हैं। शीघ्रता न करे, भक्ति भावसे करे।

                               एतदर्थं प्रथम सूर्यमण्डलमें सौन्दर्यराशि भगवान् नारायणका ध्यान करना चाहिये। भावनासे दोनों हाथ भगवान्‌के सुकोमल चरणोंका स्पर्श करते हों, ललाट भी उसी सुखस्पर्शमें केन्द्रित हो और आँखें उनके सौन्दर्य- पानमें मत्त हों।


सूर्य नमस्कार की विधि:

सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने के लिए निम्नलिखित आसनों को क्रमशः पूरा किया जाता है:


1. प्राणामासन (Pranamasana): सीधे खड़े होकर हाथ जोड़ें।


2. हस्त उत्तानासन (Hasta Uttanasana): हाथों को उच्च करें और पिछले कर्षण करें।


3. पादहस्तासन (Padahastasana): पैरों को झुकाकर ऊपर की ओर जाएँ और धीरे से आगे झुकें।


4. आशविनी आसन (Ashwa Sanchalanasana):  डाहिनी पैर को आगे बढ़ाएं और उसके साथ बाईं टांग को घुटनों तक झुकाएं।


5. पर्वतासन (Parvatasana): पूर्ण उच्च आकर्षण के साथ शरीर को ऊपर की ओर खींचें।


6. अष्टांग नमस्कार (Ashtanga Namaskara): आधी छाती को फ्लोर पर रखें, घुटने छजाएं, और बाकी के लेट फॉल और अस्थायी कर्षण रखें।


7. भुजंगासन (Bhujangasana): श्वासप्रश्वास के साथ पूर्ण शरीर को उठाएं और बाएं टांग को झुकाएं।


8. पर्वतासन (Parvatasana): शरीर को पहले की तरह उच्च करें, पूरी सीधाई के साथ।


8. आशविनी आसन (Ashwa Sanchalanasana): बाएं पैर को आगे बढ़ाएं और उसके साथ डाएं टांग को घुटनों तक झुकाएं।


9. पादहस्तासन (Padahastasana): पैरों को झुकाकर ऊपर की ओर जाएं और धीरे से आगे झुकें।


10. हस्त उत्तानासन (Hasta Uttanasana): हाथों को उच्च करें और पिछले कर्षण करें।


11. प्राणामासन (Pranamasana): फिर से प्रारंभिक स्थिति में लौटें, हाथ जोड़ें और ध्यान लगाएं।


संकल्प-

ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः ••••••••••••अद्य अहं श्रीपरमात्म- प्रीत्यर्थमादित्यस्य
द्वादशनमस्काराख्यं कर्म करिष्ये ।


संकल्पके बाद अञ्जलिमें या ताम्रपात्रमें लाल चन्दन, अक्षत, फूल डालकर हाथोंको हृदयके पास लाकर निम्नलिखित मन्त्रसे सूर्यको अर्घ्य दें-


एहि सूर्य ! सहस्रांशो ! तेजोराशे ! जगत्पते !
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणार्घ्यं दिवाकर !


अब सूर्यमण्डलमें स्थित भगवान् नारायणका ध्यान करें-


ध्येयः सदा सवितृमण्डलमध्यवर्ती
           नारायणः सरसिजासनसंनिविष्टः ।
केयूरवान् मकरकुण्डलवान् किरीटी
           हारी हिरण्मयवपुर्धृतशङ्खचक्रः ॥


सूर्य नमस्कार के मंत्र:

सूर्य नमस्कार के दौरान कुछ मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, 
अब उपर्युक्त विधिसे ध्यान करते हुए निम्नलिखित नाम- मन्त्रोंसे भगवान् सूर्यको साष्टाङ्ग प्रणाम करे-


(१) ॐ मित्राय नमः ।
(२) ॐ रवये नमः ।
( ३ ) ॐ सूर्याय नमः ।
(४) ॐ भानवे नमः ।
(५) ॐ खगाय नमः ।
( ६ ) ॐ पूष्णे नमः ।
(७) ॐ हिरण्यगर्भाय नमः ।
(८ ) ॐ मरीचये नमः ।
(९) ॐ आदित्याय नमः ।
(१०) ॐ सवित्रे नमः ।
(११) ॐ अर्काय नमः ।
(१२) ॐ भास्कराय नमो नमः ।


इसके बाद सूर्यके सारथि अरुणको अर्घ्य दे-


विनतातनयो देव: कर्मसाक्षी सुरेश्वरः ।
सप्ताश्वः सप्तरज्जुश्च अरुणो मे प्रसीदतु ॥
ॐ कर्मसाक्षिणे अरुणाय नमः ।
आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने ।
जन्मान्तरसहस्रेषु दारिद्र्यं नोपजायते ॥


इसके बाद सूर्यार्घ्यका जल मस्तक और आँखोंमें लगाये तथा कुछ चरणामृत निम्नलिखित मन्त्रसे पी ले-

अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम् ।
सूर्यपादोदकं तीर्थं जठरे धारयाम्यहम् ॥
ॐ कर्मसाक्षिणे अरुणाय नमः ।
आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने ।
जन्मान्तरसहस्रेषु दारिद्र्यं नोपजायते ॥


इसके बाद सूर्यार्घ्यका जल मस्तक और आँखों में लगाये तथा कुछ चरणामृत निम्नलिखित मन्त्रसे पी ले-

अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम् ।
सूर्यपादोदकं तीर्थं जठरे धारयाम्यहम् ॥


ॐ तत्सत् कृतमिदं कर्म ब्रह्मार्पणमस्तु । विष्णवे नमः, विष्णवे नमः, विष्णवे नमः ।



सूर्य नमस्कार की फायदे:

  • शारीरिक स्वास्थ्य के लिए: मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, शरीर की लचीलापन बढ़ाता है और रक्त संचार को सुधारता है।

  • मानसिक स्वास्थ्य के लिए: तनाव को कम करता है, मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है, और मानसिक तनाव को दूर करता है।

  • आध्यात्मिक विकास के लिए: आत्मचिंतन को बढ़ाता है, आत्मबोध को बढ़ाता है और आध्यात्मिक विकास में मदद करता है।


सूर्य नमस्कार अद्भुत योगासन है जो शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को संतुलित रखने में मदद करता है। इसे नियमित रूप से अभ्यास करने से आपका शारीरिक और मानसिक विकास होगा, और आपका आत्मा भी प्रकाशमय होगा। तो आइए, योग की इस यात्रा पर निकलें और सूर्य नमस्कार के माध्यम से स्वास्थ्य और सुख का अनुभव करें।


इसके अतिरिक्त, यह अन्य लाभ भी प्रदान कर सकता है, जैसे कि:


  •  वजन नियंत्रण: सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास करने से वजन नियंत्रित रहता है और अतिरिक्त चर्बी की कमी होती है।

  •  श्वास क्षमता की वृद्धि: सूर्य नमस्कार द्वारा श्वास शक्ति बढ़ती है जो आपको शारीरिक क्रियाओं में अधिक सक्रिय रहने में मदद करती है।


  •   संचार को सुधारें: यह पाचन को सुधारता है, शरीर में ऊर्जा की दर बढ़ाता है, और आपको ताजगी और प्रेरणा प्रदान करता है।


इसके अलावा, सूर्य नमस्कार को किसी भी आयु और लाइफस्टाइल के लोगों के लिए संगठित रूप से अभ्यास किया जा सकता है। यह योगासन शुरूआती स्तर से लेकर उन्नत स्तर तक सभी के लिए फायदेमंद है।


इसे नियमित रूप से अभ्यास करने से पहले, अपने शारीरिक स्थिति का ध्यान दें और किसी योग अध्यापक की मार्गदर्शन में इसे सीखें। सूर्य नमस्कार को सही तरीके से और सावधानी से करने से बेहतर फायदे मिलेंगे और किसी भी चोट या चिकित्सीय समस्या से बचा जा सकता है।


योग यात्रा पर निकलने के लिए सूर्य नमस्कार एक उत्कृष्ट आरंभिक योग अभ्यास हो सकता है। यह आपको शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य की यात्रा में मदद कर सकता है, और आपको एक स्वस्थ और संतुलित जीवन की ओर अग्रसर कर सकता है।


योग के इस आदि को आपकी जीवनशैली में समाहित करने के लिए आप इस ब्लॉग को अपने दोस्तों के साथ साझा कर सकते हैं ताकि वे भी इस योगिक अभ्यास का लाभ उठा सकें। योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को भी संतुलित रखने में मदद करता है।
आइए, सूर्य नमस्कार का अभ्यास करें और स्वस्थ और सुखी जीवन की ओर अग्रसर हों!


सूर्य नमस्कार से संबंधित प्रमुख प्रश्न (FAQs)


सूर्य नमस्कार क्या है?

सूर्य नमस्कार एक प्रसिद्ध योगासन सरणी है जो सूर्य देव को समर्पित है और जिसे सूर्य की प्राचीन धार्मिकता में उनके शक्तिशाली प्रभावों को स्वीकार करने के लिए पूजा का रूप माना जाता है।

सूर्य नमस्कार के कितने आसन होते हैं?

सूर्य नमस्कार में कुल 12 आसन होते हैं जो शरीर के विभिन्न हिस्सों को संचालित करते हैं।

सूर्य नमस्कार का उद्देश्य क्या है?

सूर्य नमस्कार का उद्देश्य शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को संतुलित और मजबूत बनाना है।

सूर्य नमस्कार कितनी बार किया जाना चाहिए?

सूर्य नमस्कार को प्रात: के समय प्रतिदिन नियमित रूप से अभ्यास किया जा सकता है। संख्या को धीरे-धीरे बढ़ाते हुए शुरू किया जा सकता है।

क्या सूर्य नमस्कार का अभ्यास किसी विशेष आयु समूह के लिए है?

नहीं, सूर्य नमस्कार को किसी भी आयु समूह के लिए अभ्यास किया जा सकता है।

क्या सूर्य नमस्कार का अभ्यास किसी विशेष धर्म से सम्बंधित है?

नहीं, सूर्य नमस्कार को किसी भी धर्म से संबंधित नहीं माना जाता है। यह धार्मिकता के पारंपरिक और सामाजिक संदेश को समझने का एक माध्यम है।

क्या सूर्य नमस्कार किसी विशेष स्थान पर किया जाना चाहिए?

सूर्य नमस्कार को किसी भी शांत और स्वच्छ स्थान पर किया जा सकता है। एक ध्यान योगी, गार्डन, या स्थानीय पार्क उपयुक्त स्थान हो सकता है।

सूर्य नमस्कार के लिए किस तरह की सामग्री की आवश्यकता है?

सूर्य नमस्कार के लिए आपको एक योग मैट और थोड़ा सा साथ लेना चाहिए, लेकिन यह आवश्यक नहीं है। आप योगासन को सीधे ज़मीन पर भी कर सकते हैं।

सूर्य नमस्कार के कितने समय तक करना चाहिए?

सूर्य नमस्कार को प्रातः के समय में 15-30 मिनट का समय देना चाहिए। आप अपनी शारीरिक स्थिति के अनुसार समय निर्धारित कर सकते है।

क्या सूर्य नमस्कार गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित है?

हां, सूर्य नमस्कार गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित है, लेकिन उन्हें ध्यान देना चाहिए कि वे अपनी शारीरिक सीमाओं को ध्यान में रखें। यदि किसी भी संकेत का अनुभव होता है, तो वे एक योग अध्यापक से परामर्श करें।

क्या सूर्य नमस्कार करने से वजन कम होता है?

हां, सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास करने से वजन कम हो सकता है, लेकिन इसके लिए नियमित और संतुलित आहार का भी ध्यान रखना जरूरी है।

क्या सूर्य नमस्कार करने से शारीरिक दर्द में राहत मिलती है?

जी हां, सूर्य नमस्कार के अभ्यास से मांसपेशियों को मजबूती मिलती है और शारीरिक दर्द में राहत होती है।

क्या सूर्य नमस्कार करने से नींद में सुधार होता है?

हां, सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास करने से नींद में सुधार हो सकता है, क्योंकि यह मानसिक तनाव को कम करता है और मन को शांति प्रदान करता है।

क्या सूर्य नमस्कार का अभ्यास किसी विशेष समय पर करना चाहिए?

सूर्य नमस्कार का अभ्यास सबसे अच्छा प्रातः के समय किया जाता है, लेकिन आप अपनी उपयोगिता और समय के अनुसार भी इसे कर सकते हैं।

क्या सूर्य नमस्कार के लिए किसी खास योग अनुभव की आवश्यकता है?

नहीं, किसी भी स्तर के योग अनुभव के बिना भी सूर्य नमस्कार का अभ्यास किया जा सकता है, लेकिन अगर आप पहली बार कर रहे हैं तो एक योग अध्यापक की मार्गदर्शन लेना उपयुक्त हो सकता है।

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Comments

  1. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः ।🙏

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