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राम जी का विवाह किस उम्र में हुआ | क्या भगवान राम का बाल विवाह हुआ था?

क्या श्री राम जी का बालविवाह हुआ था ? 


दोस्तों हमारी आपकी आस्था पर हमारे ईष्ट देवताओं पर लांछन लगाना आज आम बात हो गई है हमारे ही बीच के लोग भगवानों की जीवन यात्रा और उनके ग्रंथों में दी गई हजारों शिक्षाओं को छोड़कर कुछ ना कुछ इधर-उधर करके हमारी आपकी श्रद्धा को तार-तार करने में लगे हैं।

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 आज जब पूरा देश राममय है तो अब एक नया प्रोपेगेंडा हमारे बीच आया है कि श्रीराम जी ने केवल छः वर्षीय मां सीता से शादी की थी और इससे ये साबित करने का प्रयास होता है कि हिंदू सनातन धर्म कितना misogynistic (नारी-द्वेषी) है कि ये लोग एक ऐसे भगवान को पूजते हैं जिन्होंने 6 साल की एक बैचारी बालिका से शादी कर ली


 नमस्ते दोस्तों आप सभी का no1helper के blog post में स्वागत है🙏

आज के एपिसोड में हम यह देखेंगे कि विवाह के समय श्री राम जी और सीता जी की आयु कितनी थी और क्या सच में श्री राम जी ने 6 साल की सीता जी से शादी की थी?

 तो दोस्तों बिना किसी विलम के आज के विश्लेषण को प्रारंभ करते हैं


विवाद:-

 अब दोस्तों ये जो आरोप लगाया जाता है कि आपके मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी ने एक 6 वर्ष की छोटी बालिका से विवाह कर लिया इस आरोप को सपोर्ट करने के लिए वो आपके सामने वाल्मीकि रामायण के अरण्य कांड के 47 वें अध्याय के चौथे और 10वें श्लोक को रखते हैं अरण्यकांड के इन दोनों श्लोकों में माता सीता जी यह बता रही हैं कि:-

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 वो अयोध्या में 12 वर्षों तक रही और जब 18 वर्ष की थी तब वो वनवास के लिए गई थी और जब वनवास के लिए जा रही थी तब श्री राम जी की आयु 25 वर्ष की थी अब इससे जब कैलकुलेशन की जाती है तो सीधा-सीधा पता चलता है कि चूंकि वो 12 वर्षों तक अयोध्या में थी और अभी 18 वर्ष की है जब वनवास गई तो यानी कि छ वर्ष की जब वो रही होंगी जब वो अयोध्या को आई थी तो इससे ये अनुमान लगाया जाता है कि 6 वर्ष की आयु में सीता जी ब्याह करके अयोध्या आ गई थी।

 और यहीं से श्री राम जी की भी आयु निकाल ली जाती है कि अगर 25 वर्ष की आयु में वो वनवास गए हैं और 12 वर्षों से सीता जी के साथ थे यानी कि 13 वर्ष की ही आयु में उनका विवाह सीता जी से हो गया था तो इन श्लोकों से ये पता चलता है कि सीता जी की आयु 6 वर्ष की थी और 13 वर्ष की आयु श्री राम जी की थी विवाह के समय तो क्या हम मान ले कि ये आरोप सच है लेकिन ये आरोप इतना भी सीधा नहीं है क्योंकि अगर आप बहुत से श्लोकों में गहराई में उतरेंगे तो आपको कुछ और भी चीजें पता चलेंगी तो अब हम वाल्मीकि रामायण में इस बात की सत्यता की परख करने के लिए और भी श्लोकों को देखेंगे।


भ्रांति:-

 दोस्तों अब हम सत्य खोजने निकल तो गए हैं लेकिन सत्य खोजना इतना आसान भी नहीं है क्योंकि वाल्मीकि रामायण में ऐसे कई श्लोक हैं जहां पर जब आप श्री राम जी की या सीता जी की आयु के विषय में जानेंगे तो बहुत ढेर सारे विरोधाभास भी उपलब्ध होते हैं 


      जैसे कि हम वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड के 20वें अध्याय के 45 वें श्लोक को देखें तो वहां पर जब श्री राम जी कौशल्या मां को यह बताते हैं कि वह वनवास जा रहे हैं तो कौशल्या मां दुखी होते हुए इस श्लोक को बोलती हैं वहां पर वो बोलती हैं दश सप्त च वर्षणी दश माने 10 सप्त माने 7 यानी यहां पर ये बताया जा रहा है कि श्री राम जी जब वनवास जा रहे थे तब 17 साल के थे ना कि 25 साल के जैसा कि हमने पहले देखा है इसके अलावा अगर आप बालकांड में जाएंगे तो वहां पर भी आप देखेंगे कि 20वें अध्याय के दूसरे श्लोक में जब विश्वामित्र जी श्री राम जी को लेने आते हैं तो वहां पर राजा दशरथ बता रहे हैं कि

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 अभी मेरा पुत्र 16 वर्ष का भी नहीं हुआ है वो कैसे इन बड़े-बड़े राक्षसों से लड़ेगा।

   तो यहां से हम ये बात समझ सकते हैं कि श्री राम जी जब विश्वामित्र जी उन्हें लेने आए थे तो 16 वर्ष के नहीं हुए थे तो इसका मतलब ये था कि वो 16 वर्ष की आयु के आसपास रहे होंगे कुछ लोग ये भी कह सकते हैं कि बहुत छोटे रहे होंगे और यहां पर एक और हम प्रमाण ले सकते हैं योगवासिष्ठ से जिसको महारामायण कहा जाता है वहां पर भी ये बात बताई गई है कि जब विश्वामित्र जी श्री राम जी को लेने आते हैं तो श्री राम जी की शिक्षा पूरी हो गई थी और वो एक बार भारत भ्रमण कर चुके थे तो इससे पता चलता है कि श्री राम जी की आयु उस समय तक 14-15 वर्ष की हो गई होगी लेकिन फिर इससे विरोधाभास पैदा होता है कि जब विश्वामित्र जी के साथ वो गए फिर वहां पर उन्होंने उनकी रक्षा की राक्षसों से फिर सीता जी से विवाह किया उसके के बाद 12 वर्ष तक फिर वो अयोध्या में रहे तो 17 वर्ष की आयु में कैसे वनवास जा सकते हैं जैसा कि अभी हमने पिछले श्लोक में देखा था


 तो दोस्तों हम देख सकते हैं कि वाल्मीकी रामायण के अंदर ही श्री राम जी की आयु को लेकर बहुत ढेर सारे विरोधाभास है तो सत्य क्या है इसको पता लगाने के लिए हमें और भी गहरा रिसर्च करना पड़ेगा कि वह 17 वर्ष के थे या 25 वर्ष के थे जब वह वनवास जा रहे थे या फिर उनकी आयु कुछ और ही थी


वास्त्विकता truth:-

 साथियों वाल्मीकि रामायण संस्कृत भाषा का एक उत्कृष्ट काव्य ग्रंथ है और इसकी महिमा तभी समझ पाएंगे जब हमें संस्कृत भाषा का ज्ञान हो क्योंकि हमें अर्थ तो पता चल जाएगा ट्रांसलेशंस बहुत ढेर सारे हैं लगभग हर लैंग्वेजेस में अवेलेबल हैं लेकिन वाल्मीकि जी की लेखनी में क्या शक्ति थी वो हमें जब संस्कृत भाषा का ज्ञान होता है तब हम उनकी रचनाओं की बारीकी समझ पाते हैं और फिर हम इस बात को समझ पाएंगे कि रामायण को आदि काव्य क्यों कहा जाता है 


आइए जानते हैं कि श्री राम जी की और सीता जी की आयु को लेकर उनके विवाह के समय जो आयु थी उसको लेकर इतना मतभेद क्यों बना रहता है तो दोस्तों हम देख सकते हैं कि वाल्मीकि रामायण में श्री राम जी की और सीता जी की आयु को लेकर काफी विरोधाभास है लेकिन ये विरोधाभास हमारी अज्ञानता की वजह से है अगर हम चीजों को सही से देखेंगे तो सॉल्यूशन भी इसी ग्रंथ में में दिया गया है दोस्तों भारत की प्राचीन परंपरा में देखेंगे तो वहां पर एक द्विज का अवधारणा था यानी द्वितीय जन्म का एक संस्कार होता था जिसे उपनयन संस्कार भी कहते थे यानी कि जब उपनयन संस्कार हो जाता था तब कोई व्यक्ति शिक्षा को आरंभ करता था और इसी को द्विज संस्कार कहते थे यानी कि इसको ऐसा माना जाता था कि अब उसको गुरु के सानिध्य में एक दूसरा जन्म मिल गया है और वेदों और उपनिषदों में द्विज को इस प्रकार से बताया गया है कि जैसे कोई चिड़िया अंडा तोड़ के बाहर आती है तो एक जन्म तो उसका अंडे में हुआ रहता है लेकिन जब अंडा तोड़कर बाहर आती है जब इस संसार में में आती है तब उसका दूसरा जन्म होता है और इसी प्रकार से वैदिक सभ्यता में जब कोई व्यक्ति उपनयन संस्कार करवा लेता था और गुरु के साथ गुरुकुल में पढ़ने लगता था तो माना जाता था कि अब वो संसार में आया है और संसार की शिक्षा को ग्रहण करेगा इसलिए उसको द्विज यानी द्वितीय जन्म भी बोला जाता था।


      अब यहां पर श्री राम जी क्षत्रिय थे तो हम देख सकते हैं कि मनुस्मृति में क्या बताया गया है वहां पर बताया गया है कि क्षत्रियों के लिए 11वें वर्ष पर उपन्यास संस्कार होता था इसका अर्थ ये हुआ कि जब कौशल्या जी ने श्री राम जी के वनवास जाने की खबर सुनी थी और उनसे बोला था कि आप तो 17 वर्ष के ही हैं कैसे वनवास जाएंगे तो हो सकता है वो उनके द्विज जन्म की बात कर रही हो क्यों हो सकता है इसके लिए भी आगे दो प्रूफ हमारे पास हैं और अगर यहां पर कौशल्या जी द्विज जन्म की बात कर रही हैं तो हमें 17 वर्ष में 10 वर्ष और जोड देना चाहिए। इसका अर्थ ये हुआ कि 27 वर्ष के श्री राम जी थे जब वो वनवास जा रहे थे अब सबूत के तौर पर हमारे पास दो प्रसंग हैं :-

पहला बालकांड के 50 वें सर्ग का 18वां श्लोक जहां पर विश्वामित्र जी श्री राम जी को और लक्ष्मण जी को राजा जनक के पास ले जाते हैं और जब राजा जनक इन दोनों राजकुमारों के बारे में पूछते हैं तो वहां पर विश्वामित्र जी कहते हैं:-

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 यानी कि श्री राम जी और लक्ष्मण जी अपनी युवावस्था में राजा जनक के यहां पधारे थे इसके अलावा एक दूसरा प्रसंग है जो अयोध्या कांड के 118 वें अध्याय के 24वें श्लोक में देखने को मिलता है जहां पर माता सीता ने अपने लिए एक शब्द का प्रयोग किया है:-

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 यानी उन्होंने वहां पर बोला कि अब चूंकि वो marriageable age विवाह अवस्था में पहुंच गई थी इसलिए उनके पिता को उनकी शादी की चिंता सताने लगी थी और अगर आप सुश्रुत संहिता के 35 वें अध्याय के 10वें सूत्र को देखेंगे तो वहां पर बताया गया है कि:-

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 एक पुरुष के लिए युवावस्था 25 वर्ष की आयु होती है और एक स्त्री के लिए 16 वर्ष की तो यहां हां हम देख सकते हैं कि जब श्री राम जी लक्ष्मण जी के साथ राजा जनक के दरबार में पधारते हैं तो सीता मां भी युवावस्था को प्राप्त हो चुकी थी और श्री राम जी भी और उसके बाद जब उनका विवाह हुआ तो विवाह के पश्चात 12 वर्ष तक वो अयोध्या में रुके थे और उसके बाद फिर वनवास पर गए थे और ये तो वाल्मीकि रामायण जो गीता प्रस द्वारा प्रकाशित है वहां से हमें जो ज्ञान मिलता है उस पर चर्चा की गई है इसके साथ-साथ जो रामायण का (क्रिटिकल एडिशन) है-

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 वहां पर ये बताया गया है कि विवाह के पश्चात एक वर्ष ही श्री राम जी और सीता जी अयोध्या में रुके थे और उसके बाद ही वो वनवास को चले गए थे तो यहां पर हम देख सकते हैं कि वनवास जाते समय या तो श्री राम जी की आयु 27-28 वर्ष की थी या फिर 35-36 वर्ष की।


संक्षिप्त में:-

सनातन धर्म में विवाह समावर्तन संस्कार के बाद अर्थात गुरुकुल से विद्या अर्जन करने के बाद 25 वर्ष के पश्चात गुरुजी से आज्ञा लेने के बाद ही विवाह किया जाता था । इसीलिए श्री राम विद्या पूर्ण करने के बाद स्वयंवर में माता सीता जी द्वारा वर के रूप में चुने गए थे। अनेक ग्रंथ के अनुसार उन्होंने 1 वर्ष के पश्चात जब वह 25⅔26 वर्ष के थे तो उन्हें वनवास मिला था और जब वह वनवास से वापस अयोध्या आए तब 39 वर्ष की आयु में उनका राज्याभिषेक हुआ था और फिर 30 वर्ष और 6 महीने तक शासन करने के बाद जब वह 70 वर्ष के थे तब उन्होंने राज्य को छोड़ दिया था।


 जिससे सिद्ध होता है कि श्री राम जी और सीता जी के बीच में बाल विवाह नहीं हुआ था उन दोनों का विवाह युवावस्था में ही हुआ था तो दोस्तों आशा है कि इस blog के माध्यम से आपको श्री राम जी और सीता जी की आयु के विषय में बहुत कुछ जानने को मिला होगा उनके विवाह के समय क्या आयु थी और उनका वनवास जाते समय क्या आयु रही होगी ।

जय श्री राम


FAQ

राम जी का जन्म कब हुआ था?

श्रीराम का जन्म त्रेतायुग में हुआ था।

राम और सीता का विवाह कब हुआ था?

राम और सीता का विवाह बाल्यकांड में हुआ था, जो एक पवित्र घटना थी।

राम जी ने किस प्रकार से रावण को वध किया?

राम जी ने असुरराज रावण को वध कर माता सीता को मुक्त किया।

श्रीराम का धर्म क्या था?

श्रीराम को 'मर्यादा पुरुषोत्तम' कहा जाता है, जो उनके धर्मनिष्ठ जीवन को दर्शाता है।

रामायण का महत्त्व क्या है?

रामायण हिन्दू धर्म का महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है, जो जीवन के मौलिक सिद्धांतों को सिखाता है।

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