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गुरु नानक

गुरु नानक देव जी के वंशज||गुरु नानक देव जी की जन्म कथा|| गुरु नानक देव जी 


सिक्ख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का जन्म पंजाब में रावी-तट पर स्थित तलवन्डी नामक गाँव में हुआ था। उनको पंजाब तथा सिन्ध का पैगम्बर कहा जाता है। तृप्ता तथा मेहता कालू क्रमशः उनके माता-पिता थे। बाल्यावस्था से ही वह मननशील तथा धार्मिक प्रकृति के थे और अपना समय ध्यान तथा आध्यात्मिक साधना में व्यतीत किया करते थे।

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गुरु नानक के पिता ने अपने पुत्र के मन को विषयोन्मुख करने का अथक प्रयत्न किया। उन्होंने उनको कृषि कर्म में संलग्न करने का प्रयास किया; किन्तु नानक की रुचि इस ओर नहीं थी। वह खेत में जा कर भी ध्यान करने लगते थे। जब उनसे उनकी निष्क्रियता का कारण पूछा गया, तब उन्होंने कहा—“मैं निष्क्रिय नहीं हूँ। मैं अपने खेत की रखवाली कर रहा हूँ। मेरा शरीर एक खेत, मन हलवाहा, सदाचार, कृषि-कर्म तथा शील इस खेत के अभिसिंचन के लिए प्रयुक्त जल है। मैंने अपने इस खेत में भगवान् के पवित्र नाम का बीज वपन किया है।" नानक के पिता को इससे घोर निराशा हुई। उन्होंने पुनः एक बार सांसारिक विषयों की ओर आकृष्ट करने के बहुविध प्रयत्न किये; पर उनके हाथ असफलता ही लगी ।


नानक का विवाह जनपद गुरुदासपुर-स्थित बटाला गाँव के निवासी मुला की पुत्री सुलक्षणी के साथ हुआ था। उनके दो पुत्र थे। यह सांसारिक सम्बन्ध किसी भी रूप में उनकी आध्यात्मिक खोज में कोई अवरोध नहीं उपस्थित कर सका। नानक को सुलतानपुर के नवाब के भण्डार गृह का प्रभारी नियुक्त किया गया। वहाँ उन्होंने अपने कार्य का निष्पादन अत्यधिक समुचित विधि से किया। उन्होंने अपने लिए कुछ रख कर शेषांश को परोपकार में वितरित कर दिया।


नानक ने भण्डार गृह के प्रभारी के कार्य-भार से स्वयं को मुक्त कर लिया। इसके पश्चात् निर्धनों में अपनी सारी सम्पत्ति वितरित कर वह फकीर हो गये। अब वह एकान्त में रह कर कठोर तप तथा गहन ध्यान करने लगे। वह जो ईश्वर-प्रेरित भजन गाया करते थे, उनको सिक्खों की पवित्र पुस्तक 'आदि ग्रन्थ' संकलित कर लिया गया है जो आज तक सुरक्षित हैं।


चौंतीस वर्ष की आयु में नानक एक सार्वजनिक उपदेशक हो गये । मर्दाना उनका प्रथम शिष्य था। उनके उपदेश लोगों के लिए अत्यन्त प्रभावप्रद होते थे। नानक ने कुछ दिनों तक एक परिव्राजक का जीवन भी व्यतीत किया। बाबर उनसे बहुत प्रभावित था और उन्हें अत्यधिक सम्मान की दृष्टि से देखता था। नानक मक्का, मदीना, श्रीलंका, म्यांमार, तुर्की, अरब, बगदाद, काबुल, कन्धार और श्याम तक गये। वहाँ उन्होंने सर्वत्र अपने धार्मिक सिद्धान्तों का प्रचार किया। उन्होंने लोगों को सदाचार, बन्धुत्व तथा पारस्परिक सत्कार का जीवन व्यतीत करने का उपदेश दिया। उन्होंने शिक्षा दी - “ईश्वर का नाम-स्मरण करते रहो। उससे प्रेम करो । एक ही ईश्वर की भक्ति करो। अपने मित्रों की सेवा करो। ईश्वर सर्वस्व है। उसकी सदैव प्रार्थना करो। उसका तादात्म्य-लाभ करो।” नानक हिन्दू-मुसलिम एकता के लिए प्रयत्नशील रहे।


मक्का, हसन अब्दुल तथा अन्य स्थानों पर नानक ने अनेक चमत्कारों का प्रदर्शन किया। वह एक सुधारक थे। उन्होंने प्राणिमात्र के प्रति प्रेम तथा शान्ति का सन्देश दिया। वह उदार तथा सहिष्णु थे। उनमें सैद्धान्तिक और जातिगत भेद की भावना नहीं थी ।


उनके द्वारा गायी गयी रहस्यवादी कविताएँ 'जपुजी' में संग्रहित हैं। इसमें सिक्खों की प्रातःकालीन प्रार्थनाएँ सम्मिलित हैं। 'सोहिला सन्ध्या- कालीन प्रार्थनाओं का संग्रह है। उसमें नानक ने ईश्वर-साक्षात्कार के विविध मार्गों की ओर संकेत किया है। उन्होंने जीवन की अनेक जटिल समस्याओं पर भी स्पष्ट प्रकाश डाला है।

गुरु नानक जयंती क्यों मनाई जाती है

नानक के अनुयायियों के लिए 'वाहे गुरु' गुरु-मन्त्र है। 'ग्रन्थ साहिब' सिक्खों का पवित्र ग्रन्थ है। इसमें प्रथम पाँच गुरुओं के स्तोत्र संकलित हैं। इसके अतिरिक्त इसमें कबीर आदि विभिन्न समकालीन सन्तों की भी कुछ वाणियाँ संग्रहित हैं। बाद में दशवें गुरु गोविन्द सिंह द्वारा इनमें नौवें गुरु के स्तोत्रों को भी सम्मिलित कर लिया गया। गुरु नानक की वाणियों का रचना-भण्डार वृहद है ।


जीवन के अन्तिम काल में नानक करतारपुर में बस गये थे। १५३८ ई. में उनहत्तर वर्ष की आयु में उनका देहान्त हो गया। गुरु अंगद उनके उत्तराधिकारी हुए ।


FAQ

प्रश्न:गुरु नानक कौन थे?

उत्तर:गुरु नानक, सिख धर्म के संस्थापक, एक आदर्श संत, दार्शनिक, शिक्षक और सामाजिक सुधारक थे।

प्रश्न:गुरु नानक का जन्म कहाँ हुआ था?

उत्तर:गुरु नानक का जन्म पंजाब के तलवन्डी गाँव में हुआ था।

प्रश्न:गुरु नानक की माता-पिता का क्या नाम था?

उत्तर:गुरु नानक के माता-पिता का नाम तृप्ता और मेहता कालू था।

प्रश्न:गुरु नानक की धार्मिक खोज कब और कैसे शुरू हुई?

उत्तर:गुरु नानक बचपन से ही ध्यान और आध्यात्मिकता में रुचि रखते थे। उन्होंने सामाजिक और आध्यात्मिक खोज की, जिससे उन्होंने सिख धर्म की नींव रखी।

प्रश्न:गुरु नानक ने किसे अपना पहला शिष्य बनाया?

उत्तर:गुरु नानक के पहले शिष्य मर्दाना थे, जिन्होंने उनकी उपदेशों का पालन किया और उनकी दिशा में बढ़ने का निर्णय लिया।

प्रश्न:गुरु नानक ने किन-किन जगहों पर यात्रा की?

उत्तर:गुरु नानक ने मक्का, मदीना, श्रीलंका, म्यांमार, तुर्की, अरब, बगदाद, काबुल, कन्धार और श्याम जैसे स्थानों पर यात्रा की और अपने धर्म के सिद्धांतों का प्रचार किया।

प्रश्न:गुरु नानक की वाणियाँ किस पुस्तक में संकलित हैं?

उत्तर:गुरु नानक की वाणियाँ 'आदि ग्रन्थ' और 'ग्रन्थ साहिब' में संकलित हैं, जिनमें उन्होंने आध्यात्मिक सिद्धांतों और जीवन के मूल्यों का प्रचार किया।

प्रश्न:गुरु नानक का देहान्त कब हुआ?

उत्तर:गुरु नानक का देहान्त 1538 ई. में हुआ था, उनके बाद गुरु अंगद उनके उत्तराधिकारी बने।

प्रश्न:गुरु नानक ने सिख धर्म की क्या मुख्य बातें प्रस्तुत की?

उत्तर:गुरु नानक ने सिखों को ईश्वर-साक्षात्कार, सदाचार, प्रेम और सम्मान के मार्ग पर चलने की बात कही, और वे हिन्दू-मुस्लिम एकता की ओर प्रयत्नशील रहे।

प्रश्न:गुरु नानक जयंती कब है?

उत्तर:गुरु नानक जयंती सालाना नवम्बर या दिसंबर में मनाई जाती है, जिसकी तारीख संवत ३६८ (नानकशाही संवत) के अनुसार तिथि तय की जाती है।

प्रश्न:गुरु नानक की मृत्यु कहां हुई थी?

उत्तर:गुरु नानक का देहांत करतारपुर, पंजाब में हुआ था।


अन्य पढ़े :


**सिख गुरु - सिख धर्म के मार्गदर्शक:**
1. **गुरु नानक**
6. **गुरु हरगोविन्द** - सिखों के छठे गुरु
8. **गुरु हरकिशन** - सिखों के आठवें गुरु
9. **गुरु तेगबहादुर** - सिखों के नौवें गुरु
10. **गुरु गोविन्द सिंह** - सिखों के दसवें गुरु

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